शादी के बाद लड़कियों का जीवन कैसा होता है।life after Marriage

After marriage relationship tips:-

विवाह बंधन में बंधने के बाद पति और पत्नी दोनों के जीवन में बदलाव आते हैं। दोनों को इन बदलावों को स्वीकार करते हुए एक-दूसरे के साथ जीवन बिताना होता है। लेकिन शादी के बाद कुछ ऐसे बदलाव हैं, जो महिलाओं के जीवन में ही होते है। कई बार इन बदलावों को सहजता से स्वीकार कर पाना महिलाओं के लिए संभव नहीं होता है। ऐसे में वे अगर नए परिवार के सदस्यों और अपने जीवन साथी को इन बदलावों से होने वाली असहजता के बारे में बताएं तो समस्या का समाधान हो सकता है।

खान पान में बड़ा बदलाव का आना :-

शादी के बाद महिलाएं नए घर यानी ससुराल के नियमों के अनुसार ही चलने की कोशिश करती हैं। इस कोशिश में सबसे पहले ससुराल के खान-पान की स्टाइल के साथ एडजस्ट करने की कोशिश करती हैं। अगर नवविवाहिता, सहजता से यह बदलाव स्वीकार कर पा रही है तो ठीक है।
लेकिन वह खान-पान में बदलावों के साथ अगर सहज नहीं है तो ससुराल वालों और जीवनसाथी को इस बारे में अवगत कराना चाहिए। नए परिवार के सदस्य और जीवनसाथी इस बात को जरूर समझेंगे।

शादी के बाद अधिकतर महिलाएं अपने करियर को अलविदा कह देती हैं या उन्हें इससे समझौता करना पड़ता है। खासकर तब जब पति या नए परिवार के सदस्य उनके काम करने के हक में न हों। कई बार तो महिलाएं इसी वजह से बड़ी से बड़ी जॉब को भी छोड़ देती हैं।

नौकरी यानी की Carrier In life:-

लेकिन आपकी अगर जॉब करने की, अपने करियर में आगे बढ़ने की इच्छा है तो इस बात को लेकर नए परिवार के सदस्यों से बात करें। उन्हें समझाएं कि आप अपने करियर में आगे बढ़ेंगी तो घर-परिवार को ही आर्थिक रूप से सहयोग कर पाएंगी।

यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में जेंडर स्टडीज के स्कॉलर अंजानी राम नारायण के अनुसार महिलाएं शादी के बाद अपने पर कम ध्यान देने लगती हैं। मेकअप न करना, सही ढंग से ड्रेसअप न होना जैसा व्यवहार करने लगती हैं। जबकि शादी से पहले वे स्वयं को लेकर सजग रहती थीं।

अपने पे ध्यान नहीं देना :-

माना बाहरी सुंदरता का बहुत महत्व नहीं रखती है लेकिन स्वयं को लेकर उदासीन रहना भी गलत है। शादी के बाद भी खुद को मेंटेन रखना जरूरी है, कहीं न कहीं ये बातें भी दांपत्य के रिश्ते में अहम भूमिका निभाती हैं। इसलिए खुद को लेकर लापरवाह न हो जाएं। कहने का सार यही है कि शादी के बाद जीवन में कई तरह के बदलाव आना स्वाभाविक है। लेकिन इनके साथ बैलेंस बनाया जाए तो दांपत्य जीवन खुशहाल बनेगा और आप भी खुश रहेंगी।

जिम्मेदारियों :-

वे दिन जा चुके हैं जब वह लापरवाह रहती है और अपनी इच्छा अनुसार जीती है। शादी के बाद वह ना केवल अपने पति की बल्कि उसके परिवार की भी देखभाल करने लगती है और इस प्रक्रिया में वह ज़्यादा से ज़्यादा ज़िम्मेदार और विश्वसनीय बन जाती है। ना अब यहाँ घर का खर्चा उठाने के लिए उसके पिता है ना ही काम संभालने के लिए उसकी माँ। शादी के बाद ये सारी ज़िम्मेदारियाँ उसकी पहली प्राथमिकता बन जाती हैं। हैरानी की बात है, कि शादी के बाद एक स्त्री इस बारे में शिकायत किए बगैर अधिक ज़िम्मेदार बन जाती है।

निर्णय लेने की क्षमता (Decison on behalf)

शादी से पहले, एक स्त्री केवल अपनी ज़िंदगी के बारे में सोचती है और अपनी मर्ज़ी और इच्छा से फैसले लेती है। लेकिन शादी के बाद ये बदल जाता है क्योंकि अब उसे अपनी ज़िंदगी किसी के साथ गुज़ारनी है और कोई भी फैसला लेते समय उसे ध्यान में रखना है। इसलिए अब एक स्त्री जहाँ उसे अपने पति की मूल्यवान सलाह की ज़रूरत हो, वह उसकी सलाह लेती है और फिर उस अनुसार अंतिम निर्णय लेती है।

आप सभी पाठक को स्नेह प्रेम।

धन्यवाद।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ